Indicators on वशीकरण मंत्र किसे चाहिए You Should Know
वशीकरण को नैतिक रूप से सही नहीं माना जाता है. किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध नियंत्रित करने का प्रयास करना गलत है. यह व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है.
यह मंत्र व्यक्ति के मन को आकर्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके उच्चारण से, आप दूसरे व्यक्ति को आपके प्रति आकर्षित कर सकते हैं और उनमें अपने प्रतीक्षाएं जगा सकते हैं।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अमुक ग्राह्यार्थे सर्व जगत् हितकारिणी सर्वदुःख निवारिणी सर्व व्याधि नाशिनी नमो नमः स्वाहा॥
त्व देवी जगत माता योनिमुद्रे नमोस्तुते
वशीकरण की प्रक्रिया में मंत्र, तंत्र और अन्य आध्यात्मिक साधनों का उपयोग किया जाता है.
करोमि दर्शनं देव्याः, सर्व-कामार्थ सिद्धये।
मेरी समझ में तो आपको दूसरी रीति पसन्द आवेगी। इसमें समय मी अधिक न लगेगा और अनुभव प्राप्त करने में किसी प्रकार की हानि की भी संभावना नहीं है। इस तरह ‘मंत्र विद्या’ में जो साधन आदि प्राचीन आचार्यों ने निश्चय करके अद्भुत रूप में विश्व के सामने प्रकट किये हैं। उनके अनुसार काम करने से हमें सहज ही में सफलता मिल सकती है।
ऊं नमो भगवते कामदेवाय, यस्य यस्य दृश्यो भवामि, यश्च यश्च मम मुखम पछ्यति तत मोहयतु स्वाहा”
पुष्प वशीकरण, में फूलों के जरिए किसी व्यक्ति को अपने वश में किया जाता है। अधिकांश मामले में यह मंत्र प्रेमी प्रेमिका के ऊपर प्रयोग किया जाता है। इससे उनके भीतर प्रेम जाग जाता है।
त्रीं त्रीं त्रीं हूं, हूं स्त्रीं स्त्रीं कामाख्ये प्रसीद स्त्रीं हूं हूं त्रीं त्रीं त्रीं स्वाहा
आप पाने व्यवहार से किसी को भी अपना बना सकते है। जहां व्यवहार कार्य नहीं click here करता वहां तंत्र कार्य कर सकता है।
विधि: इस मन्त्र को किसी शुभ मुहूर्त में दस हजार बार जप करके सिद्ध कर लें। फिर प्रयोग करते समय बृहस्पतिवार को प्रसन्न होकर थोड़ा-सा नमक लेकर उसे सात बार मन्त्र से अभिमन्त्रित करके जिस स्त्री को मोहित करना हो, उसके खाने-पीने की वस्तु में वह नमक मिला दें। वह स्वी साधक पर तन-मन-धन से मोहित हो जायेगी। देवदत्ती के स्थान पर साध्य स्त्री के नाम का उच्चारण करें।
इस पुस्तक में आठ सिद्धियां दी गई हैं जिनको कि विधिपूर्वक करने से मनुष्य अवश्य सफल होता है। वह सिद्धियां इस प्रकार हैं। (१) वशीकरण विद्या (२) आकर्षण विद्या (३) अष्टसिद्धि (४) कायाकल्प विद्या (५) यक्षणी साधन (६) भूत विद्या (७) ओझा विद्या (८) यन्त्र, मन्त्र और तन्त्र विद्या । वह विद्या ऐसी हैं यदि विधिपूर्वक की जायं तो पूरा २ अब भी असर करती हैं। लेकिन सिद्धि कार्य कर्त्ता पर निर्भर है।
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